मानव में समतापता
स्तनधारी होने के कारण हम ऊष्माशोषी और साथ-साथ समतापी है। शारीरिक ताप जो 37 डिग्री सेल्सियस होता है, को बनाए रखने के लिए हमारे शरीर में संवेदी बिंदु होते हैं, जो निश्चित चिन्हों का पता लगाते हैं। इसकी तुलना कमरे के वायु अनुकूलन मशीन के ताप स्थापक के कार्य से की जा सकती है सामान्यत: इसका ताप पर नियंत्रण रहता है यदि कमरे का तापमान नियंत्रित बिंदु से अधिक बढ़ जाता है तो ताप स्थापक के अंदर उपस्थित संवेदी बिंदु बदलाव का पता लगा लेता है और मशीन को तथा अनुसार परिवर्तन हेतु सक्रिय कर देता है। हमारी त्वचा में दो तरह के संवेदी न्यूरॉन पाए जाते है। यह हमारे शरीर के बाहर के तापमान में बदलाव के प्रति संवेदनशील होते हैं और ऊष्मा ग्राही कहलाते हैं। इनमें से कुछ निम्न ताप के प्रति संवेदनशील होते हैं और शीत ग्राही कहलाते हैं। जबकि दूसरे गरम ताप के प्रति संवेदी होते हैं और गर्म ग्राही कहलाते हैं।इनमें से पहली प्रकार के तो ताप कम होने पर उद्दीपन करते हैं जबकि दूसरा ताप बढ़ने पर होता है। इसके विपरीत गर्मी शीतग्राही को रोकती है और ठंडक गरम ग्राही को बंद करती है। गर्म ग्राही अधिचर्म के तुरंत नीचे...