माइकोप्लाज्मा (MYCOPLASMA)
इस एककोशिकीय प्रोकेरियोट्स की खोज ई. नोकार्ड और ई. आर. रॉक्स नामक दो फ्रांसीसी वैज्ञानिकों ने प्लूरोन्युमोनिया से ग्रसित मवेशियों के प्लूरल द्रव में खोजा था। ये बहुरूपी होते हैं। इन्हे PPLO या पादप जगत के जोकर भी कहते हैं। बोरेल और उनके साथी ने मिलकर इस बहुरूपी जीव को एस्टेरोकोकस मायकोइडस नाम दिया था । नोवाक ने सन् 1929 में एस्टेरोकोक्स मायकॉइड्स को माईकोप्लास्मा वंश में रखा । ऐसे सभी जीव अब माइकोप्लाज्मा कहलाते हैं। कभी कभी इन्हे एक अलग वर्ग मॉलिक्युटा में रखा जाता हैं। माइकोप्लाज्मा जंतुओ और पादप दोनो को संक्रमित करते हैं। सामान्यतया: ये मिट्टी,मलजल , पादप और जंतुओं में पाए जाते हैं। संरचना (structure) :- ये एककोशिकीय सबसे सरल मुक्त जीवी प्रोकेरियोट होते हैं। इनमे कोशिका भित्ति का अभाव होता हैं ।इसी कारण ये अत्यधिक बहुरूपी होते हैं। इनका कोई रूप निश्चित नही होता हैं ये कही रूप में हो सकते हैं जैसे गोलाकार, कनिकाए, तंतुमय , गोलानू। कोशिका झिल्ली सबसे बाहरी परत होती हैं।यह त्रिस्तरीय ईकाई झिल्ली नुमा संरचना होती हैं। संवर्धन...