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मिलर का प्रयोग

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मिलर का प्रयोग:- प्रेरित कुमावत नोबल पुरस्कार विजेता हेराल्ड यूरे के शिष्य स्टेनले मिलर ने एक अत्यन्त तर्क पूर्ण प्रयोग किया। इस प्रयोग का उद्देश्य उस परिकल्पना का परीक्षण करना था जिसके अनुसार यह माना जाता है कि वह अमीनो अम्ल सदश पदार्थ अमोनिया, जल एवं मिथेन जैसे प्रथम योगिको से बने होंगे। मिलर ने एक विशिष्ट वायु रोधक उपकरण जिसे चिंगारी विमुक्त उपकरण कहते है , उस उपकरण में मिथेन, अमोनिया, हाईड्रोजन (२:१:२) एवं जल का उच्च ऊर्जा वाले विद्युत स्पुलिंग में से परिवहन किया। जलवाष्प एवम् उष्णता की पूर्ति उबलते हुए पानी के पात्र द्वारा कि गई। परिवहन करती हुई जल वाष्प ठंडी व संघनित होकर जल में परिवर्तित हो गई। इस प्रयोग का उद्देश्य उन परिस्थितियों का निर्माण करना था जो कि जीव की उत्पत्ति के समय पृथ्वी पर रही होगी। मिलर ने दो सप्ताह तक इस उपकरण में गेसो का परिवहन होने दिया। इसके बाद उसने उपकरण की 'U' नली मे जमे द्रव को निकाल निरीक्षण किया तो इसमें अमीनो अम्ल ( ग्लाइसिन, एलेनिन, एस्पार्टिक अम्ल, एसिटिक अम्ल)  एवम्   कार्बनिक  अम्लो ( लेक्टिक अम्ल, सक्सिनिक अम्ल, प्र...