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मई 14, 2023 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

BCG(बीसीजी) टेस्ट क्या होता हैं ,क्या कैंसर के इलाज में बीसीजी का उपयोग किया जा सकता हैं।

BCG (बीसीजी):-                             बीसीजी (BCG) का पूरा नाम बेसिलस कोलमेट गुआरिन हैं ।BCG एक प्रकार का टीका होता हैं,जिसका उपयोग टीबी के इलाज के रूप में किया जाता हैं ।इसका उपयोग दवाई और इंजेक्शन दोनो रूपो में किया जाता हैं। 👉टीबी के साथ साथ बीसीजी का उपयोग कैंसर के लिए इम्यूनोथेरेपी के खिलाफ काम में लिया जाता हैं। BCG को ट्यूबरक्लोसिस नेगेटिव शिशुओं और उन  बच्चों के लिए काम में लिया जाता हैं ,जिनमे संक्रमण की संभावना प्रति वर्ष 1%से अधिक होती हैं। स्वस्थ शिशुओं को वेक्सिन के रूप में जन्म के तुरंत बाद ही बीसीजी को दिया जाता ताकि उनके शरीर में टीबी के खिलाफ प्रतिरक्षा को बढ़ाया जा सके। 👉मूत्राशय के कैंसर के इलाज के लिए भी बीसीजी वेक्सिन को इंजेक्शन के रूप में दिया जाता हैं। 👉यह वेक्सीन बेक्टिरिया के बोवाईन स्टेन पर आधारित होती हैं ।बीसीजी का लेप्रोसी के खिलाफ एक सुरक्षात्मक परभाव होता हैं।सुरक्षात्मक परभाव होने के बावजूद डॉक्टर्स के द्वारा लेप्रोसी के लिए बीसीजी का उपयोग नही किया जाता हैं...

पर्माफ्रोस्ट क्या होती हैं।। ग्लोबिंग वार्मिंग का इसपर क्या प्रभाव पड़ता हैं।

हमारी पृथ्वी मिट्टी की अनेक परतों से मिलकर बनी होती हैं,जिन अलग अलग परतों का एक अलग महत्व होता हैं। भूविज्ञान में पर्माफ्रोस्ट भी मिट्टी की एक ऐसी परत ही होती हैं जो लगातार कम से कम दो साल तक बर्फ के नीचे दबी हुई हो ।मिट्टी की यह परत अक्सर पानी के साथ मिलकर अत्यधिक कठोर हो जाती हैं ,जिस कारण यहाँ पर खुदाई करना बेहद मुश्किल हो जाता हैं, यहां खुदाई करने के लिए खास औजारों की जरूरत पड़ती हैं।               पर्माफ्रोस्ट वाले स्थान अधिकतर हमारी पृथ्वी के धुर्वो पर मौजूद होते हैं ,हालांकि कुछ ऊंचे ऊंचे पहाड़ों जहा पर हमेशा बर्फ जमी रहती हैं वहा भी पर्माफ्रोस्ट के होने के आसार होते हैं जैसे :- तिब्बत और लद्दाख में कही कहीं पर पर्माफ्रोस्ट मिल जाती हैं। :- वैसे तो पर्माफ्रोस्ट वाले इलाको में रहना और वहा इमारत बनाना काफी मुस्किलो वाला काम होता हैं,क्युकी इमारतों और मकानों से निकलने वाली गर्मी से पर्माफ्रोस्ट को नुकसान होने का खतरा ज्यादा रहता है।  पर्माफ्रोस्ट के पिघलने से इमारत की नीव कमजोर हो जाती हैं इस कारण इमारत के गिरने का खतरा बाद जाता हैं ।   ...

48 हजार साल से बर्फ के नीचे दबा था ज़ोंबी वाइरस,वैज्ञानिकों ने दुबारा जिंदा किया ।😯🤯

वैसे तो वैज्ञानिकों के द्वारा रोज नई नई खोज होती रहती हैं ,जिससे जीवो के जीवन को  कही ना कही  सरल बनाने में मदद मिलती हैं,लेकिन वैज्ञानिकों द्वारा हाल ही में एक ऐसी खोज की गई हैं,जिससे जीव जगत को सुगम का तो पता नहीं परंतु जीवन में परेशानियां जरूर आ सकती हैं  हाल ही में वैज्ञानिकों ने साइबेरिया में एक ऐसे वायरस को खोजा है जो पिछले कही दशकों से बर्फ की परतों के नीचे दबा हुआ था ,और निष्क्रिय अवस्था में था ,जैसे ही वैज्ञानिकों ने वायरस को बर्फ की परतों के नीचे से हटाया यह तुरंत सक्रिय हो गया , काफी सालो से बर्फ के नीचे दबे होने पर भी ये वायरस अभी तक जिंदा था इसी कारण वैज्ञानिकों ने इस वायरस का नाम ज़ोंबी वायरस रख दिया । आपको बता दे की ये वायरस साइबेरिया के पर्माफ्रॉस्ट   से खोजा गया था ,पर्माफ्रॉस्ट मिट्टी की एक ऐसे परत होती हैं जो सदियों से बर्फ में दबी रहती हैं। हमारी पृथ्वी पर उत्तरी गोलार्ध का 15 फीसदी हिस्सा पर्माफ्रॉस्ट हैं ,लेकिन जैसे जैसे ग्लोबिन वार्मिंग बाद रही हैं वैसे वैसे पर्माफ्रॉस्ट के क्षतिग्रस्त होने का खतरा ज्यादा बाद गया हैं इस कारण आगे चलकर और भी ...