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BCG(बीसीजी) टेस्ट क्या होता हैं ,क्या कैंसर के इलाज में बीसीजी का उपयोग किया जा सकता हैं।

BCG (बीसीजी):-                             बीसीजी (BCG) का पूरा नाम बेसिलस कोलमेट गुआरिन हैं ।BCG एक प्रकार का टीका होता हैं,जिसका उपयोग टीबी के इलाज के रूप में किया जाता हैं ।इसका उपयोग दवाई और इंजेक्शन दोनो रूपो में किया जाता हैं। 👉टीबी के साथ साथ बीसीजी का उपयोग कैंसर के लिए इम्यूनोथेरेपी के खिलाफ काम में लिया जाता हैं। BCG को ट्यूबरक्लोसिस नेगेटिव शिशुओं और उन  बच्चों के लिए काम में लिया जाता हैं ,जिनमे संक्रमण की संभावना प्रति वर्ष 1%से अधिक होती हैं। स्वस्थ शिशुओं को वेक्सिन के रूप में जन्म के तुरंत बाद ही बीसीजी को दिया जाता ताकि उनके शरीर में टीबी के खिलाफ प्रतिरक्षा को बढ़ाया जा सके। 👉मूत्राशय के कैंसर के इलाज के लिए भी बीसीजी वेक्सिन को इंजेक्शन के रूप में दिया जाता हैं। 👉यह वेक्सीन बेक्टिरिया के बोवाईन स्टेन पर आधारित होती हैं ।बीसीजी का लेप्रोसी के खिलाफ एक सुरक्षात्मक परभाव होता हैं।सुरक्षात्मक परभाव होने के बावजूद डॉक्टर्स के द्वारा लेप्रोसी के लिए बीसीजी का उपयोग नही किया जाता हैं...

पर्माफ्रोस्ट क्या होती हैं।। ग्लोबिंग वार्मिंग का इसपर क्या प्रभाव पड़ता हैं।

हमारी पृथ्वी मिट्टी की अनेक परतों से मिलकर बनी होती हैं,जिन अलग अलग परतों का एक अलग महत्व होता हैं। भूविज्ञान में पर्माफ्रोस्ट भी मिट्टी की एक ऐसी परत ही होती हैं जो लगातार कम से कम दो साल तक बर्फ के नीचे दबी हुई हो ।मिट्टी की यह परत अक्सर पानी के साथ मिलकर अत्यधिक कठोर हो जाती हैं ,जिस कारण यहाँ पर खुदाई करना बेहद मुश्किल हो जाता हैं, यहां खुदाई करने के लिए खास औजारों की जरूरत पड़ती हैं।               पर्माफ्रोस्ट वाले स्थान अधिकतर हमारी पृथ्वी के धुर्वो पर मौजूद होते हैं ,हालांकि कुछ ऊंचे ऊंचे पहाड़ों जहा पर हमेशा बर्फ जमी रहती हैं वहा भी पर्माफ्रोस्ट के होने के आसार होते हैं जैसे :- तिब्बत और लद्दाख में कही कहीं पर पर्माफ्रोस्ट मिल जाती हैं। :- वैसे तो पर्माफ्रोस्ट वाले इलाको में रहना और वहा इमारत बनाना काफी मुस्किलो वाला काम होता हैं,क्युकी इमारतों और मकानों से निकलने वाली गर्मी से पर्माफ्रोस्ट को नुकसान होने का खतरा ज्यादा रहता है।  पर्माफ्रोस्ट के पिघलने से इमारत की नीव कमजोर हो जाती हैं इस कारण इमारत के गिरने का खतरा बाद जाता हैं ।   ...

48 हजार साल से बर्फ के नीचे दबा था ज़ोंबी वाइरस,वैज्ञानिकों ने दुबारा जिंदा किया ।😯🤯

वैसे तो वैज्ञानिकों के द्वारा रोज नई नई खोज होती रहती हैं ,जिससे जीवो के जीवन को  कही ना कही  सरल बनाने में मदद मिलती हैं,लेकिन वैज्ञानिकों द्वारा हाल ही में एक ऐसी खोज की गई हैं,जिससे जीव जगत को सुगम का तो पता नहीं परंतु जीवन में परेशानियां जरूर आ सकती हैं  हाल ही में वैज्ञानिकों ने साइबेरिया में एक ऐसे वायरस को खोजा है जो पिछले कही दशकों से बर्फ की परतों के नीचे दबा हुआ था ,और निष्क्रिय अवस्था में था ,जैसे ही वैज्ञानिकों ने वायरस को बर्फ की परतों के नीचे से हटाया यह तुरंत सक्रिय हो गया , काफी सालो से बर्फ के नीचे दबे होने पर भी ये वायरस अभी तक जिंदा था इसी कारण वैज्ञानिकों ने इस वायरस का नाम ज़ोंबी वायरस रख दिया । आपको बता दे की ये वायरस साइबेरिया के पर्माफ्रॉस्ट   से खोजा गया था ,पर्माफ्रॉस्ट मिट्टी की एक ऐसे परत होती हैं जो सदियों से बर्फ में दबी रहती हैं। हमारी पृथ्वी पर उत्तरी गोलार्ध का 15 फीसदी हिस्सा पर्माफ्रॉस्ट हैं ,लेकिन जैसे जैसे ग्लोबिन वार्मिंग बाद रही हैं वैसे वैसे पर्माफ्रॉस्ट के क्षतिग्रस्त होने का खतरा ज्यादा बाद गया हैं इस कारण आगे चलकर और भी ...

आर्क बैक्टीरिया 🦠🦠🦠🦠☀️

                    ( संकेत:- प्रतिकात्मक चित्र)  बैक्टीरिया विशिष्ट होते हैं,क्योंकि ये कुछ अत्यधिक रूक्स आवासों में रहते हैं जैसे अत्यधिक लवणीय क्षेत्र गर्म जलस्रोत और दलदली क्षेत्र। एक भिन्न कोशिका भित्ति संरचना की उपस्थिति के कारण अर्की बैक्टीरिया अन्य जीवाणुओं से भिन्न होते हैं। यह लक्षण चरम परिस्थितियों में इनकी उत्तजीविता के लिए उत्तरदायि होते हैं। कोशिका झिल्ली में लिपिड की शाखित श्रृंखला होती हैं,जो झिल्ली की तरलता को घटाते हैं। अर्की बैक्टीरिया में आनुवंशिक अनुक्रम में इंट्रोन   होते हैं । आर्की बैक्टेरिया को तीन समूहों में बांटा गया हैं👇👇 1. मैथेनोजेंस 2. लवणीय 3. तापअम्ल रागी 1. मैथेनोजेंस :-                         ये जीवाणु दलदली इलाको में पाए जाते हैं।ये CO2, मेथेनॉल और फॉर्मिक अम्ल को मेथेन में रूपांतरित कर देता हैं। इसी लिए इसे  मैथेनोजेंस कहा जाता हैं। ये जीवाणु जुगाली करने वाले जानवरों को आहरनाल में पाए जाते हैं , तथा ये इन जंतुओं के गोब...

बॉडी फ्लूड्स (body fluids 🩸🩸)

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       बॉडी फ्लूड्स (शरीर तरल) सभी सजीव  कोशिकाओं जीवित रहने के लिए  पोषक पदार्थो की  जरूरत होती हैं और इन पोषक पदार्थो के पाचन से अपशिष्ट और हानिकारक पदार्थ भी बनते हैं,जो की शरीर के लिए बहुत हानिकारक होते हैं। जिस कारण उन्हे शरीर से निरंतर बाहर निकाला जाता हैं जो की एक निश्चित प्रक्रिया द्वारा होता हैं। जैसे:-  सरल जीवों ( सिलेंट्रेटा व स्पंज ) में इस प्रक्रिया के लिए देहगुहा होती हैं। जटिल जीवों में इस प्रकार की प्रक्रिया के लिए सबसे बॉडी में विशिष्ट प्रकार का तरल पाया जाता है। जटिल जीव जैसे मानवों में इस प्रकार के कार्य के लिए सबसे सामान्य रूप से पाया जाने वाला तरल रुधिर (blood) हैं।  आज हम रक्त के बारे में बात करेंगे। **BLOOD (रुधिर) यह एक तरल संयोजी उत्तक है, जो तरल मैट्रिक्स, प्लाज्मा, व  कोशिकाओं से मिलकर बना होता हैं।रुधिर में प्लाज्मा 55% और अन्य भाग 45 % होते हैं। ***प्लाज्मा(plasma)  प्लाज्मा, यह हमारी बॉडी में पाए जाने वाले तरल में से एक हैं, जो की निर्जीव पदार्थ होता हैं और कोशिकाओं के बीच में पाया जाता ह...

माइकोप्लाज्मा (MYCOPLASMA)

इस एककोशिकीय प्रोकेरियोट्स की खोज ई. नोकार्ड और ई. आर. रॉक्स नामक दो फ्रांसीसी वैज्ञानिकों ने    प्लूरोन्युमोनिया से ग्रसित मवेशियों के प्लूरल द्रव में खोजा था। ये बहुरूपी होते हैं। इन्हे PPLO   या पादप जगत के जोकर  भी कहते हैं। बोरेल और उनके साथी ने मिलकर इस बहुरूपी जीव को एस्टेरोकोकस मायकोइडस नाम दिया था । नोवाक  ने सन् 1929 में एस्टेरोकोक्स मायकॉइड्स को माईकोप्लास्मा  वंश में रखा । ऐसे सभी जीव अब माइकोप्लाज्मा कहलाते हैं। कभी कभी इन्हे एक अलग वर्ग मॉलिक्युटा में रखा जाता हैं। माइकोप्लाज्मा जंतुओ और पादप दोनो को संक्रमित करते हैं। सामान्यतया: ये मिट्टी,मलजल , पादप और जंतुओं में पाए जाते हैं। संरचना  (structure) :-   ये एककोशिकीय सबसे सरल मुक्त जीवी प्रोकेरियोट होते हैं। इनमे कोशिका भित्ति का अभाव होता हैं ।इसी कारण ये अत्यधिक बहुरूपी होते हैं। इनका कोई रूप निश्चित नही होता हैं ये कही रूप में हो सकते हैं जैसे गोलाकार, कनिकाए, तंतुमय , गोलानू। कोशिका झिल्ली सबसे बाहरी परत होती हैं।यह त्रिस्तरीय ईकाई झिल्ली नुमा संरचना होती हैं। संवर्धन...

THE UNSOLVED MYSTERIES MURDERED CASE 🤔🤔( आरुषि - हेमराज हत्याकांड)

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आप सभी ने आरुषि - हेमराज हत्याकांड के बारे में तो सुना ही होगा ,ये हत्याकांड आज तक का सबसे मिस्टीरियस और रहस्यम  हत्याकांड में से एक हैं, जिसको आज तक कोई सुलझा नहीं पाया हैं👇👇   आज हम बात करेंगे एक ऐसे मर्डर केस के बारे में जिसे आज तक की सबसे अनसुलझी हत्याकांड में से एक माना जाते हैं। आप सभी लोगो ने आरुषि हेमराज हत्याकांड के बारे में तो सुना ही होगा ,जिसके बारे में आज हम बात करने वाले हैं। ये बात हैं 15 मई 2008 की नोएडा के सेक्टर 25 के जलवायु अपार्टमेंट के मकान नंबर L-32 की । ये मकान वहा रहने वाले राजेश तलवार और नूपुर तलवार का था ।पेशे से राजेश तलवार एक डेंटिस्ट थे और इस वक्त वो फोर्टीज हॉस्पिटल में काम करते थे यही नहीं उनका खुद का भी क्लिनिक था जिसपर वो काम करते थे।राजेश और नूपुर के एक 14 साल की लडकी भी थी जिसका नाम आरुषि तलवार था । इन तीन लोगो के अलावा भी उनके मकान में एक और रहता था जिसका नाम था हेमराज , हेमराज उनका नौकर था ,जो की नेपाल से ताल्लुक रखता था । अभी थोड़े दिन पहले ही राजेश ने उसे काम पर रखा था। उ...

भारत की ऐसी झील 🌊जहा मछलियों 🌊से भी ज्यादा मानव कंकाल मिलते हैं🤔☠️☠️

आज हम बात करने वाले हैं एक ऐसी  झील के बारे में जो की उत्तराखंड में समुंद्र तल से 5000 m ऊपर स्थित इस झील को मौत की झील भी कहते हैं। परंतु जो हम बताना चाहते हैं वो ये हैं की इस झील में कही सौ मानव कंकाल बिखरे हुए हैं। जिनको ऐसे पड़े हुए देखना भी बहुत भयानक हैं।इतने सारे मानव कंकाल यहां कहा से आए ,या इतने सारे लोगो की मौत आखिर कैसे हुई। और सोचने वाली बात तो ये हैं की इतने सारे लोग समुंद्र तल से 5000 m की इतनी ऊंचाई पर आखिर ये लोग यहां क्या कर रहे थे । इन सब सवालों का जवाब आज तक एक रहस्य बना हुआ हैं। इस झील की खोज एक ब्रिटिश फॉरेस्ट रेंजर के द्वारा सन् 1941 में को गई थी । लोगो का मानना था की ये सारे कंकाल वर्ल्ड वार 2 के समय जर्मन सैनिकों के हो सकते हैं जो की दुश्मन के बचने के लिए यहां छुपकर रह रहे थे ।लेकिन चारो तरफ अच्छी तरह से जांच करने पर वहा आस पास कोई भी किसी प्रकार का कोई हथियार नही मिला । इस कारण लोगो ने इस बात को नकार दिया ।जब विश्लेसको ने इन कंकालों का अध्ययन किया तो पाया कि ये सारे कंकाल तो इससे भी कही पुराने थे ।अब ये बात सामने आने के बाद लोगो ने अंदाजा लगाना शुरू कर द...

हीमोस्टेसिस क्या होता हैं 🤔🤔🤔

एक ऐसी प्रक्रिया जो जितनी आवश्यक हैं वह उतनी ही घातक भी हैं जी हां हम बात कर रहे हीमोस्टेसिस के बारे में👇👇👇👇👇✍️✍️✍️  हेमोस्टेटिस एक ऐसी प्रक्रिया हैं जिसके अंतर्गत हम क्षतिग्रस्त रक्त वाहिकाओं से निकलने वाले रक्त के प्रवाह को कम कैसे करते हैं उसके बारे में अध्ययन करते हैं    ये कब होता हैं। हेमोस्टेसिस तब होते हैं जबरक्त शरीर या रक्त वाहिकाओं के बाहर मौजूद होता हैं यह खून के बहने या खून की कमी को रोकने के लिए शरीर की सहज प्रक्रिया हैं। हेमोस्टेसिस एक सरल प्रक्रिया हैं जो की हमारे शरीर में मुख्यत: तीन चरण में पूरी होती हैं।जिसके बारे में हम आगे विस्तार से बात करेंगे। प्रथम चरण में रक्त वाहिकाओं से रक्त कम मात्रा ने बाहर निकलता हैं इस चरण को सवन्हानी ऐठन कहते हैं। दूसरा चरण हैं, प्लेटलेट प्लग गठन यानी प्लेटलेट्स एक्टिव होकर एक दूसरे से चिपकने लगते हैं। और जहा से रक्त निकल रहा हैं वहा पर एक दीवार नुमा संरचना बना लेते हैं। तीसरा और अंतिम चरण हैं रक्त का थक्का बनना, इसके अंतर्गत प्लेटलेट्स प्लग को आपस में फैबरीन थ्रेड्स के साथ  मजबूत करता हैं, ताकि कही से खून ब...

क्या एक बार मरने के बाद इंसान दुबारा वापस आ सकता हैं 🥺😱

क्या ये संभव हैं की कोई इंसान एक बार मरने के बाद दुबारा वापस आ सकता हैं।आज हम बात करने वाले उत्तर प्रदेश के एक ऐसे ही विचित्र मामले के बारे में जिसके बारे में आप लोगो ने कभी कल्पना भी नहीं किया होगा ।  जी हां हम बात कर रहे हैं अभी हाल ही में उत्तर प्रदेश में घटित हुई इस घटना के बारे में जिस पर शायद कोई यकीन नहीं कर पाएगा । दरसल बात हैं हैं की अभी बीते कुछ दिनों पहले ही उत्तर प्रदेश में के हतरा शहर के हंगला गांव में बीते कुछ दिनों पहले ही एक 18 वर्षीय युवक को सांप ने काट लिया था ,जिसका इलाज कराने के लिए उसके परिजनों ने उसको वही पास ने सरकारी हॉस्पिटल ने एडमिट कराया लेकिन वहा पर जांच करने के बाद वहां की मेडिकल टीम ने लड़के को मृत घोषित कर दिया था। और बॉडी को वहा से ले जाने के लिए बोल दिया ,लेकिन मां की ममता के आगे किसकी चलती हैं । डॉक्टर के कहने के बावजूद उनके परिजनों ने बॉडी को वहा के लोकल पुजारियों, और बाबाओं के पास लेकर गए,इस उम्मीद में की कही उनका बेटा वापस आ जाए ,लेकिन जब वहां से भी वही निराशा उनके हाथ लगी तो इन लोगो ने भी अब उसको मृत मान लिया था ,पूरी नियमो के दायरे में उन लोगो...