The living world ( संजीव जगत)✨✨✨ क्या कोमा में पड़ा हुआ शख्स सजीव हैं 🤔🤔🤔


Introduction:- हमारे चारों ओर के संजीव जगत में विभिन्न प्रकार के जीव पाए जाते हैं। जो इस ग्रह को रहने के लिए अद्भुत एवम् आश्चर्यजनक बनाते हैं।
 हमारी प्रथ्वी पर  अनेक प्रकार के जीव पाए जाते है ओर उनके साथ उनका रहने के आवास बी भिन्न भिन्न होता है 

अनेक जीव वैज्ञानिकों ने विभिन्न जीवो का अध्ययन किया और कुछ मापदंडों के आधार पर सजीव एवम निर्जीव वस्तुओ के बीच अंतर किया इन्होंने कुछ  मानक एवम  प्रक्रियाएं भी विकसित की  हम जीवो को समझे में मदद करती हैं।
सजीव क्या हैं?(What is living)
 

सजीव कुछ  कुछ विशिष्ट लक्षण दर्शाते है जो उनको निर्जीव के अलग करने में हमारी मदद करते हैं।
वृद्धि, जनन एवम् संवेदनशीलता  ये प्रमुख लक्षण हैं जिन्हें हम सजीवो में  देखते है।इसके अलावा कुछ लक्षण ऐसे  भी हैं जिन्हें हम देख नहीं सकते मतलब वह काया के अंदर होती हैं (उपापचयी, स्व- द्विगुणन, स्व- संघटन) सजीवो मेंेेंे   विकसित होने की क्षमता होती है, जिसे इनमें देखा या विवेचन किया जा सकता हैं।
 सजीवव  के अभिलक्षण  
1. वृद्धि:- 

वृद्धिि सभी सजीवों   का मूलभुत लक्षण हैं। ऐसे सजीवो का आंतरिक लक्षण भी कहते है जिसके अंदर शरीर में द्रव्यमान (वजन) और कोशिका की संख्या में दोनों ऊ में वृद्धि होती हैं।  सजीवो में कोशिका विभाजन वृद्धि के द्वारा ही होता हैं।

वृद्धि का प्रारूप एवम समय अलग अलग जीवो में अलग अलग होता हैं।जैसे पादपो में वृद्धि उनके सम्पूर्ण जीवन में होती रहती है परन्तु जंतुओं में वृद्धि एक निश्चित समय तक ही होती हैं उसके बाद वृद्धि रुक  जाती है
एक कोशिकीय जीवो में वृद्धि कोशिका विभाजन के द्वारा होती है इस प्रकार के कोशिका विभाजन से समष्टि में भी वृद्धि होती हैं।  कोशिका विभाजन की ऐसी प्रक्रियाओ से जीव का जनन भी होता हैं इसलिए वृद्धि  तथा जनन एक कोशिकीय जीवो में परस्पर समावेशी घटनाए हैं। हम एक कोशिकीय जीवो में विभाजन को कृत्रिम माध्यम में परखनली या पेट्री डीश में  सुक्ष्मदर्शी के नीचे देख सकते हैं ।
हालांकि कोशिका विभाजन केवल वृद्धि के समय है नहीं होता है,बल्कि चोट लगने पर भी होता हैं।शरीर के आकार , आकृति एवं संरचना बनाए रखने के लिए कोशिका विभाजन की महत्वपूर्ण योगदान होता हैं।
वृद्धि एक दिशीए होती हैं।

हालांकि वृद्धि निर्जीव में भी देखने को मिलती है परन्तु वह  स्थायी नहीं होती हैं, जैसे पहाड़ पर बर्फ  का जमना ,रेत के टिलो का बनना  आदि इस प्रकार की वृद्धि  पदार्थ पर बाहरी पदार्थ के जमा होने से होती हैं। इसलिए हम वृद्धि को हम  निश्चीत लक्षण के रूप में नहीं लिया जा सकता हैं।
2. जनन (reproduction):-
                                        यह सजीवो का मौलिक अभिलक्षण हैं।जिसे अपने समान संतति उत्पन्न करने के लिए किया जाता हैं। जनन दो प्रकार का होता हैं।:- अलेंगिक तथा लैंगिक जनन
अलेंगिक विधि में में नए जीव केवल एक जनक के  विशिष्टीकृत या किसी  अविशिष्टीकृत भाग  से उत्पन्न  होते हैं।एक कोशिकीय जीवो में जनन वृद्धि का समानार्थी होता हैं।
  खंडन भी अलेंगीक जनन की एक दूसरी विधि हैं।इसमें जीव का शरीर दो या दो से अधिक भागो में टूट जाता हैं। इनमे से प्रत्येक खंड एक नए जीव का निर्माण करता हैं। यह सामान्यता कवक  ,ब्रायोफाइट्स में भी होता हैं प्लेनेरिया में इसके शरीर से पूर्णतया अलग हुए भाग से पुन: जीवित  होने की क्षमता पाई जाती हैं। यह जनन की एक विधि हैं क्योंकि नए प्लेनेरिया जनक प्लेनेरिया के शरीर या तो लम्बाई या तो अनुप्रस्थ विखंडन के विकसित होते हैं उच्च जीवो जैसे पदपो, जंतुओं में सामान्यतया जनन की लैंगिक विधि पाई जाती हैं जिसमे एक ही जाति के विपरीत लिंग वाले दो जनको से युग्मको का निर्माण होता हैं। ये युग्मक  जुड़कर युग्मनज का निर्माण करते हैं।जो विकसित होकर उसी प्रकार ने एक नए जीव का निर्माण करते हैं ।

उपापचय (metabolism) 
 सभी संजीव रसायनों से बने हैं, ये रसायन छोटे या बड़े ,विभिन्न वर्गो आकार,कार्यों इत्यादि से संबंधित हो सकते हैं । संजीवो के शरीर में विभिन्न प्रकार की अभिक्रियाओं के द्वारा इन जैव अणुओं का निरंतर संश्लेषण किया जाता हैं तथा इन्हें कुछ अन्य जैव अणुओं में तोड़ दिया जाता हैं ।शरीर में होने वाली सभी रसायनिक अभिक्रियाएं उपापचय कहलाती हैं ।
वही दूसरी ओर पदार्थों में इस प्रकार का कोई प्रक्रिया नहीं होता हैं। 

चेतना ( Consciousness) :- 
यह एक ऐसा लक्षण हैं जो सिर्फ  सजीवो में ही पाया जाता हैं,क्युकी सभी जीव अपने साथ और अपने आसपास होने वाले बदलाव हो महसूस करने में सक्षम होते हैं।और उस बदलाव के अनुसार अपनी प्रतिक्रिया भी प्रदर्शित करते हैं इसे ही  चेतना। कहते हैं।  यह प्रक्रिया प्रोकेरियोट्स से लेकर युकीरियोटस में पाई जाती हैं।
इसके विपरित मानव ही एकमात्र ऐसा जीव हैं जो अपने प्रति सचेत रहता हैं। इसमें।  प्रतिवेशी वातावरण के साथ साथ संचेतना भी होती हैं।मानव एक ऐसा प्राणी हैं जिसमे विचार, भावनाए ,और स्वार्थ होता हैं ।
चेतना को सजीवो का निश्चित लक्षण भी माना जाता हैं क्युकी चेतना निर्जिवो में नहीं पाई जाती हैं ,इसके अनुसार हम सजीवों और निर्जीव में आसानी से परिभाषित कर सकते हैं।
✨✨हालांकि अस्पताल में कोमा में स्थित मरीज जिन्हे ह्रदय और फेंफड़े के स्थान पर वास्तव में मशीनों से सहायता दी जाती हैं वो न तो जीवित हैं और न ही मृत अन्यथा मस्तिष्क के मृत हैं।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

भारत की ऐसी झील 🌊जहा मछलियों 🌊से भी ज्यादा मानव कंकाल मिलते हैं🤔☠️☠️

भारत के कुछ डरावनी जगह (most hounted places in India part -2)

क्या एक बार मरने के बाद इंसान दुबारा वापस आ सकता हैं 🥺😱

48 हजार साल से बर्फ के नीचे दबा था ज़ोंबी वाइरस,वैज्ञानिकों ने दुबारा जिंदा किया ।😯🤯

BCG(बीसीजी) टेस्ट क्या होता हैं ,क्या कैंसर के इलाज में बीसीजी का उपयोग किया जा सकता हैं।

मिलर का प्रयोग

कोन है अमृत पाल सिंह जिसके पीछे पूरे पंजाब की पुलिस लगी हुई हैं 🤔🤔

भारत के कुछ अजीबों गरीब डरावनी जगह 😵‍💫 जिनके बारे मैं सोचने से भी डर लगता हैं।