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कोन है अमृत पाल सिंह जिसके पीछे पूरे पंजाब की पुलिस लगी हुई हैं 🤔🤔

आखिर कोन है ये अमृत पाल जिसकी वजह से पंजाब पुलिस की रातों की नींद और जीवन का सुख चैन सब छीन गया हैं। आइए आज हम आपको एक ऐसे इंसान के बारे में बताते हैं जिसने पूरी पंजाब की पुलिस की नाक में दम कर रखा हैं। वह आदमी और कोई नहीं अमृतसर का रहने वाला अमृत पाल हैं, जितना  सीधा इसका नाम हैं उतने से ज्यादा  भयानक उसके  कारनामे हैं।    अमृतपाल अमृतसर के जल्लूपुर खेड़ा गांव का रहने वाला हैं । उसने 12 वीं तक की पढ़ाई अपने गांव के ही स्कूल से पूरी करी है,उसके बाद उसने आगे की पढ़ाई छोड़ दी । और आज कल के सोशल मीडिया के जमाने में जहा हर किसी को मशहूर होना होता हैं और इसी मशहूर होने की इस रेस में वह कुछ भी कर सकते हैं । अमृत पाल वैसे तो 12वीं क्लास की पढ़ाई पूरी करते ही दुबई चला गया था , जहा पर उसने अपना ट्रांसपोर्ट का ।बिजनेस शुरू किया था ,लेकिन सितंबर 2022 में ही वह ना जाने क्या सोचकर दुबई से अपना पूरा बिजनेस समेटकर इंडिया आ गया । और यहां पर"वारिस पंजाब दे" नाम के संगठन के साथ जुड़ गया । अमरतपाल  अपने आप को खालिस्तानी आतंकी का अनुयाई बताता हैं,वह अपना हुलिया भी उसी की तरह ब...

राजस्थान की एक ऐसी जगह जिसको भूतो के द्वारा बनाया गया था😱☠️☠️👹

  चांद बावडी (chand bavdi)   भारत का राजस्थान राज्य अपने अंदर इतनी विविधता लिए हुए हैं की कोई इंसान इसके बारे में कितना ही जान ले लेकिन वह अधूरा ही रहता हैं। लेकिन इन्ही सुंदरता को देखते देखते हम यहां के डरावने रहस्यों को नजरंदाज नहीं कर सकते।आज हम उन्हीं रहस्यों में से एक रहस्य के बारे में पता करेंगे। जी हां,आज हम बात कर रहे है राजस्थान के नायाब नमूना की जिसका नाम हैं चांद बावड़ी।   यह बावड़ी इतनी विचित्र हैं कि आपकी आंखे भी एक बार तो धोखा खा सकती है। आपके सामने रास्ते होते हुए भी आप भटक सकते हैं। यह चांद बावड़ी राजस्थान के दोसा जिले के बांदीकुई में आभानेरी गांव चांद बावड़ी एक भूतिया जगह हैं इस जगह के बारे में लोगो का कहना हैं कि यह बावड़ी पूरे चांद की रात को भूतो के द्वारा एक रात में बनाई गई थी। इसी लिए इसका नाम चांद बावड़ी पड़ा था । लेकिन आपको बता दे की यह जगह इतनी भव्य और अदभुत हैं किआज के समय में ऐसे कलाकृति बनाना अमूमन नामुमकिन हैं । इतनी विशाल इस चांद बावड़ी में चढ़ने और उतरने के लिए अलग अलग 3500 से भी ज्यादा सीढ़ीया हैं ।सारा खेल इन्ही सीढ़ीयो का ही तो हैं,जैसे जै...

भारत के कुछ डरावनी जगह (most hounted places in India part -2)

1. हरंगुल गांव महाराष्ट्र के लातूर जिले में स्थित हरंगुल गांव। इस गांव के बारे में एक बहुत ही भयानक मिथ्य हैं,जिसके बारे में सुनकर आपके कान खड़े हो जाएंगे। यहां से 15वी सदी में काले जादू से डायन बनने की परंपरा शुरू हुई थी, आज भी यह गांव डायन के डर से रात को बाहर जाने से देता हैं। यहीं नहीं रात के समय यहां कोई भी व्यक्ति पेड़ के आस पास या पेड़ के नीचे nhi सोते हैं यहां के लोग आज भी पेड़ में किसी भी प्रकार की नुकीली चीज नही ठोकते हैं ,उनका मानना हैं की ऐसा करने से डायन को गुस्सा आ जाता हैं और वो एक एक करके यहां के लोगो को मारने लगती हैं। 2 .किराडू का मंदिर यह मंदिर राजस्थान के बाड़मेर जिले में स्थित हैं । यह जगह राजस्थान के प्रसिद्ध भयानक जगह में से एक हैं जहा कोई नहीं जाना चाहते। इसे राजस्थान का खुराहो भी कहते हैं । इस मंदिर के बारे में यह कहा जाता हैं की एक साधु के श्राप के कारण यह गांव उजड़ने लगा था, यहां के लोग धीरे धीरे मरने लगे थे,इस कारण साधु के श्राप के डर के कारण यहां के लोगो ने एक ही रात में पुरागंव खाली हो गया । इस गांव के बारे में कहा जाता है की था यहां पर आज भी उस साधु और यह...

एक साल की बच्ची के दिमाग में पलने लगा भ्रूण 🧐🤯

  अक्सर आप लोगों ने मेडिकल साइंसेज के अजीबों गरीब किस्से सुने होंगे और देखे होंगे,लेकिन इस अजीबों गरीब किस्से के बारे में हम बताने जा रहे हैं ,उसके बारे में सुनना तो दूर आपने उस चीज के बारे में सपने में भी नही सोचा होंगा। जी हैं। जी हां,आज हम एक ऐसे ही किस्से के बारे में बात करेंगे जो आपको सोचने पर मजबूर कर देगा । यह बात हैं,चीन की ,जहा के एक न्यूरोलॉजी जर्नल में छपी इस घटना ने सभी को चौका दिया।   अक्सर चीन अपनी अजीबों गरीब चीजों के लिए जाना जाता हैं, परंतु इस बात अजीबो से भी अजीबो गरीब कुछ देखने को मिला। आपको बता दे ,इस बच्ची का जन्म एक साल पहले हुआ था । जन्म के बाद से ही बच्ची के सिर में प्रॉब्लम आना शुरू हो गई थी , बच्ची के सिर का साइज धीरे धीरे बढ़ रहा था, परंतु घरवालों ने इस बात पर इतना गोर नही किया लेकिन उन्हें क्या पता था कि बच्ची के दिमाग में भी एक नहीं जिंदगी का विकास हो रहा था।लेकिन जब सिर का साइज लगातार बाद रहा था तो घरवालों ने बच्ची को अस्पताल ले गए , जहां पर डॉक्टर के द्वारा सीटी स्कैन करने पर पता चला की बच्ची के दिमाग में एक भ्रूण मौजूद था , पहले तो डॉक्टर्स...

भारत के कुछ अजीबों गरीब डरावनी जगह 😵‍💫 जिनके बारे मैं सोचने से भी डर लगता हैं।

भारत एक ऐसी जगह हैं जहा पर हर जगह की अपनी एक अलग कहानी है,इन्ही जगहों में से कुछ जगह ऐसी हैं, जहां जानें के बारे में भी सोचकर लोगो की रूह कांप जाती हैं । आज हम ऐसी ही कुछ जगहों के बारे में जानने की कोशिश करेंगे। इनमें से कुछ जगह इस प्रकार हैं 👇👇👇😶‍🌫️ 1. रूपकुंड (RUPKUND):- भारत के डरावनी जगहों मे से एक हैं, रूपकुंड। यह डरावनी जगह उत्तराखंड में स्थित हैं।इस कुंड के पास तो रात तो दूर की बात हैं, दिन में किसी कमजोर दिन वाले के लिए जाना मतलब अपने पैरों में खुद कुल्हाड़ी मारने जैसे हैं। इस कुंड में चारो तरफ कंकाल और हड्डियां बिखरी हुई होती हैं।जो किसी भयानक दृश्य से कम नहीं होता हैं। इस जगह जाने के लिए अपने आपको पूर्णतया तैयार होकर जाना पड़ता हैं क्योंकि यहां का वातावरण कभी भी बदल जाता हैं। 2. वीर खंडेराव का किला ( khanderav ka kila)   वीर खंडेराव का किला भूतिया किलो में से एक माना जाता हैं। यह किला मध्य प्रदेश कस्बे में 2100 साल पुराना वीर खंडेराव का किला स्थित हैं।इस किले के बारे में कहा जाता हैं की यहां पर रात को घुंगुरू की आवाज आती हैं इस कारण इस किले में रात को आमजन के लिए बंद...

टेरीडोफाइटा

By :-prerit kumawat टेरीडोफाइटा:-    यह  वर्ग ब्रायोफाईटा एवं मॉस वर्ग के पादपो के गुणों से कुछ - कुछ समानता रखता हैं। यानी कि हम यह कह सकते हैं कि इस वर्ग में दोनों वर्गों के गुणों का समावेश हैं । अलग अलग जगहों पर उगने वाले पादपो को अलग अलग नाम दिया गया हैं जैसे स्थल में उगने वाले पादपों को स्परमाटोफाइटा कहते है। इसी प्रकार  पादप जल में उगते हैं, उन्हेंं  थेलोफाईटा कहते हैं।  लगभग 35करोड़ वर्ष पूर्व  " डिवोनी युग"  में प्रथ्वी पर इनका बाहुल्य था परन्तु वातावरण में होने वाले परिवर्तन के कारण ज्यादातर पोधे लुप्त हो गए हैं।परंतु कुछ पोधे आज भी पाए जाते हैं। टेरीडोफाइटा फ्रन ओर फ्रन किस्म  के पोधे हैं।कोयले के निर्माण के इनका महत्वपूर्ण योगदान होता है, क्योंकि जो पादप नीचे जमीन मे दब गए हैं वह ऊष्मा के कारण जलकर धीरे- धीरे कोयले में परिवर्तित हो जाते हैं। कोयले के फोंसिलो में मुख्य रूप से  यह पाए जाते हैं। इनका आधिपत्य लगभग 7 करोड़ बरसो तक चला था।इनकी लंबाई  cm. से लेकर 30 m तक होती थी। जैसे जैसे जलवायु में परिवर्तन होते गए इन पादपो का...

ब्रायोफाइट्स

ब्रयोफाइट्स असंवनिय  स्थलीय पादप है,जो नम आवसो में पाए जाते है, जिनमें बहुकोशिकिए द्विगुणित बिजाणुदभिद स्वतंत्र बहुकोशिकीय अगुणित युग्मोदभिद पर परजीवी के रूप में रहता हैं।   ब्रायोफाइट्स  के अंतर्गत  विभिन्न  मोसेस तथा लीवर वर्ट आते हैं जो सामान्यत: पहाड़ों में नम , छायादार स्थानों पर उगते हैं।  ब्रायोफाइट्स  के प्रमुख लक्षण 1.ये  मुख्यत: नम , आद्र एवं छायादार स्थानो पर पाए जाते हैं। 2.पादप चोट होते हैं। ये कभी कभार ज्यादा बड़े हो जाते हैं। 3.इन्हे जगत का उभयचर   कहा जाता हैं क्योकी येे पादप स्थल पर रह सकते हैं लेकिन जनन के लिए जल पर निर्भर रहते हैं।  4. ब्रायो फाइट्स का पादप काय  शेवालो की अपेक्षा अधिक भिन्नित होता हैं।यह थेल्सनुमा तथा श्यान या ऊर्ध्व है सकता हैं।इनमें जड़ ,तने तथा  पत्तियों का अभाव होता हैं लेकिन जड़ - सम, पत्ती- सम एवं   तना- सम  संरचना पाई  जाती हैं। पादप काय आधार जड़  समान संरचना से जुड़ा रहता है,जो मुलाभास  होता हैं। मुला भास एक कोशिकीय या बहु कोशिकीय हो सकता हैं। 5. सवह...

The living world ( संजीव जगत)✨✨✨ क्या कोमा में पड़ा हुआ शख्स सजीव हैं 🤔🤔🤔

Introduction:- हमारे चारों ओर के संजीव जगत में विभिन्न प्रकार के जीव पाए जाते हैं। जो इस ग्रह को रहने के लिए अद्भुत एवम् आश्चर्यजनक बनाते हैं।  हमारी प्रथ्वी पर  अनेक प्रकार के जीव पाए जाते है ओर उनके साथ उनका रहने के आवास बी भिन्न भिन्न होता है  अनेक जीव वैज्ञानिकों ने विभिन्न जीवो का अध्ययन किया और कुछ मापदंडों के आधार पर सजीव एवम निर्जीव वस्तुओ के बीच अंतर किया इन्होंने कुछ  मानक एवम  प्रक्रियाएं भी विकसित की  हम जीवो को समझे में मदद करती हैं। सजीव क्या हैं?(What is living)   सजीव कुछ   कुछ विशिष्ट लक्षण दर्शाते है जो उनको निर्जीव के अलग करने में हमारी मदद करते हैं। वृद्धि, जनन एवम् संवेदनशीलता    ये प्रमुख लक्षण हैं जिन्हें हम सजीवो में    देखते है।इसके अलावा कुछ लक्षण ऐसे  भी हैं जिन्हें हम देख नहीं सकते मतलब वह काया के अंदर होती हैं (उपापचयी, स्व- द्विगुणन, स्व- संघटन) सजीवो  मेंेेंे   विकसित होने की क्षमता होती है, जिसे इनमें देखा या विवेचन किया जा सकता हैं।  सजीवव   के अभिलक्षण ...

लिपिड्स (lipids)

कार्बोहाइड्रेट की भांति लिपिड भी कार्बन( C) ,    हाइड्रोजन(H) , एवं ऑक्सीजन(O) के द्वारा निर्मित होती हैं। ये पानी में अघुलनशील किन्तु क्लोरोफॉर्म इथर या बेंजीन जैसे कार्बनिक विलायकों में घुलनशील होती हैं। लिपिड अत्यंत क्रियाशील अघुलनशील हाइड्रोकार्बन का एक प्रमुख समूह होता है । इसमें कार्बन और हाइड्रोजन के बन्ध सहसंयोजी तथा  अधुविय(Nonpolar)  होते है। इसलिए लिपिड अध्रूविय होते हैं और जल में अघुलनशील होते हैं।   जंतुओं में लिपिड मुख्य रूप से वसा के रूप में पाए जाते है।वसा के एक अणु का निर्माण ग्लिसरीन के एक अणु एवम वसिय अम्ल के तीन अणुओ के संयोग से होता हैं । वसाओं को ट्राइग्लिसराइड भी कहते हैं।रासायनिक संयोजन के आधार पर लिपिड्स को तीन प्रमुख श्रेणियों में बांटा गया है:-                         1:- सरल लिपिड्स(simple lipids)                         2:- सयुक्त या जटिल लिपिड्स(Compound or Complex lipids)           ...

मानव में समतापता

स्तनधारी होने के कारण हम ऊष्माशोषी और साथ-साथ समतापी है। शारीरिक ताप जो 37 डिग्री सेल्सियस होता है, को बनाए रखने के लिए हमारे शरीर में संवेदी बिंदु होते हैं, जो निश्चित चिन्हों का पता लगाते हैं। इसकी तुलना कमरे के वायु अनुकूलन मशीन के ताप स्थापक  के कार्य से की जा सकती है सामान्यत: इसका ताप पर नियंत्रण रहता है यदि कमरे का तापमान नियंत्रित बिंदु से अधिक बढ़ जाता है तो ताप स्थापक के अंदर उपस्थित संवेदी बिंदु बदलाव का पता लगा लेता है और मशीन को तथा अनुसार परिवर्तन हेतु सक्रिय कर देता है। हमारी त्वचा में दो तरह के संवेदी न्यूरॉन पाए जाते है। यह हमारे शरीर के बाहर के तापमान में बदलाव के प्रति संवेदनशील होते हैं और ऊष्मा ग्राही कहलाते हैं। इनमें से कुछ निम्न ताप के प्रति संवेदनशील होते हैं और शीत ग्राही कहलाते हैं। जबकि दूसरे गरम ताप के प्रति संवेदी होते हैं और गर्म ग्राही कहलाते हैं।इनमें से पहली प्रकार के तो ताप कम होने पर उद्दीपन करते हैं जबकि दूसरा ताप बढ़ने पर होता है। इसके विपरीत गर्मी शीतग्राही को रोकती है और ठंडक गरम ग्राही को बंद करती है। गर्म ग्राही अधिचर्म के तुरंत नीचे...